न्यूज डेस्क छत्तीसगढ़: आज 25 जनवरी को छत्तीसगढ़ राज्य में छेरछेरा का त्यौहार मनाया जायेगा इस पर्व को छोटे बच्चो से लेकर बुजुर्गो का बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा किसानों, अन्न और दान की परंपरा से जुड़ा हुआ है। पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्योहार नए धान से कोठार के भर जाने का उत्सव है। और इसके पीछे संदेश है कि अपनी जरूरत का धान रखो और जो भी द्वार पर दान मांगने को दस्तक दे, उसे खाली हाथ वापस न जाने दो।
क्यों मनाया जाता है यह पर्व
छेरछेरा तिहार को, “नए फसल के काटने” की खुशी में मनाया जाता है। क्योंकि, किसान धान की कटाई और मिसाइ पूरी कर लेते हैं, और लगभग 2 महीने फसल को, घर तक लाने में, जो जी-तोड़ मेहनत करते हैं। उसके बाद, फसल को समेट लेने की खुशी में, इस त्यौहार को मनाने की बात भी कही जाती है।
इस पर्व का मतलब
छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम, हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार भी कहते हैं। इसे दान लेने-देने पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती।