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भोरमदेव में स्थित शिव मंदिर, छेरकी महल और मडवा महल का,छात्रों ने शैक्षिक भ्रमण के दौरान जाना ऐतिहासिक धरोहरों का महत्व

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हिरमी- रावन- ज्ञानोदय उच्च माध्य विद्या हिरमी हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कवर्धा कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव का दर्शन कराया गया। दिलेश्वर मढ़रिया ने बताया ज्ञानोदय के मिडिल स्कूल के लगभग 135 बच्चों को भ्रमण कराया, भोरमदेव में स्थित शिव मंदिर, छेरकी महल, मडवा महल के साथ पहाड़ी पर स्थित शिवलिंग का दर्शन कराकर विस्तृत से भोरमदेव के बारे में बताया गया। पहली बार भ्रमण में गए बच्चांें ने पुरी उत्सुकता के साथ शैक्षणिक भ्रमण का आनंद उठाए वहीं हर बच्चों ने भोरमदेव में स्थित स्थलों के बारे में जाना।

बच्चों को पढ़ाई के अलावा देश दुनिया के बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे में स्कूली पढ़ाई के दौरान किए गए शैक्षणिक भ्रमण बच्चों को हमेशा स्कूली जीवन की याद दिलाती है। ऐसे में पढ़ने वाले बच्चे अगर अचानक अनजान जगहों के बारे में मानसिक विकास तब होगा जब खुद उस स्थान में जाकर प्रेक्टिकल हो। भोरमदेव पहुंचकर बच्चों ने तरह-तरह की मुर्तियां,बरसों बने कला कृति व मंदिर के बारे में जाना। आर के बंजारे ने बच्चों को बताया इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है जिसके कारण लोग इस मंदिर को ‘छत्तीसगढ का खजुराहो’ भी कहते हैं।

यह मंदिर एक एतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे। चेरकी महल एक और शिव मंदिर है, जो माधव महल के दक्षिण-पश्चिम में एक किलोमीटर की दूरी पर है।लेकिन, इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी ईस्वी में फणी नागवंशी राजवंश के दौरान किया गया था।यह मंदिर चेरों को समर्पित है, जो इस क्षेत्र में रहने वाले खानाबदोश चरवाहों का एक समूह था।

इस दौरान शिक्षक दिलेश्वर मढ़रिया, ललित वर्मा, राजकपूर बंजारे, हरीश वर्मा, बिरेंद्र लहरे, नीरज वर्मा, जागेश्वरी मढ़रिया, रोशनी,श्वेता वर्मा सहित छात्रा-छात्राएं उपस्थित थे।

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