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14 वर्षो तक नेत्रहीन बनकर जीता रहा सावन , लायंस क्लब ने दिया रोशनी का उपहार….देखिए खबर ज़रा हटके

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रिपोर्ट – शेख रेहान खंडवा

ब्रेकिंग:आँखों को लेकर शायर ने क्या खूब कहा है। इक हसीं आँख के इशारे पर क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं, हमारी ज़िंदगी मे आंख कितनी अनमोल तोहफा है ईश्वर का, नेत्रहीन लोगो से पूछो। यह रास्ता दिखाती है ।

गरीबी और अशिक्षा से आंखों की बीमारी का इलाज नही करवा कर 14 वर्षो तक नेत्रहीन बनकर जीता रहा सावन , लायंस क्लब ने दिया रोशनी का उपहार।

खंडवा के अमलपुरा के मजदूरी करने वाले दशरथ बारेला के बेटे सावन जन्मजात नेत्रहीन थे । गरीबी के चलते अपने नेत्रहीन बालक को CWSN दिव्यांग छात्रावास में भर्ती करवा दिया था। दशरथ खुद मुह के कैंसर से लड़ रहे और उनकी पत्नी को एक आँख से दिखाई नही देता है। गरीबी के इस आलम में वह किस तरह अपने बेटे का इलाज करवा पाता। तब लायंस क्लब अपनी सामाजिक गतिविधियों के लिए इस छात्रावास में पहुँचा और उनकी नजर इस आश्रम के 5 नेत्रहीन बच्चों पर पड़ी फिर इन्होंने इनकी जाँच शहर के अच्छे डाक्टर से करवाई ।

इस दौरान सावन की रिपोर्ट में मोतियाबिंद होना पाया गया था। जिलानी अस्पताल में डाक्टर सौमिल जैन ने ऑपरेशन करके सावन की ज़िंदगी को रोशन कर दिया अब वह देख पा रहा है । जल्द ही उसकी यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी और वह दोनों आंखों से दुनिया को देखेगा।

डाक्टर सौमिल जैन जिलानी आई हॉस्पिटल खंडवा।लायंस क्लब सामाजिक कार्य करते रहता है। दिव्यांग आश्रम में गतिविधि के दौरान सदस्यों को पांच नेत्रहीन बच्चों पर नजर पड़ी सभी ने एक स्वर में इन बच्चों का इलाज करने का निर्णय लिया लायंस क्लब नेत्रहीन लोगों के लिए काम करता है । इन बच्चों को शहर के प्रख्यात डॉक्टर सोमिल जैन से जांच करवाई गई। सावन बरेला की जांच में मोतियाबिंद आना पाया गया । अभी उसकी एक आंख की मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया है । 14 वर्षों से नेत्रहीन बालक सावन ऑपरेशन के बाद देखने लगा है। आने वाले दो या तीन महीने बाद दूसरी आंख का ऑपरेशन भी होगा। तब वर्षों से नेत्रहीन की जिंदगी जीने वाला सावन दुनिया को सामान्य बच्चों की तरह देख पाएगा और अपने परिवार के लिए कुछ अच्छा कर पाएगा।

नारायण बाहेती लायंस क्लब खंडवा। (नीला शर्ट )हॉस्टल की अधीक्षिका अंजली शिंदे बताती है कि उनके इस छात्रावास में 32 दिव्यांग बच्चों वर्तमान में मौजूद है । कुछ बोल सुन नहीं पाते , कुछ देख नहीं पाते और कुछ चलने में समर्थ है। इस तरह तमाम परेशानियां वाले बच्चे यहां मौजूद है । सामाजिक संस्था लायंस क्लब द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया । जिसमें सावन के देखने की उम्मीद जगाने के बाद हमें बहुत खुशी हुई , हमने उसकी जांच करवाई और लायंस की मदद से डॉक्टर शामिल जैन ने निशुल्क सावन का ऑपरेशन किया और आज वह देख पा रहा है।

अंजली शिंदे CWSN दिव्यांग छात्रावास खंडवा। सावन अपनी रोशनी आने के बाद काफी खुश नजर आ रहा है। उसकी मुस्कुराहट और हंसी उसकी खुशी को जाहिर करने के लिए काफी है । अंधेरी दुनिया में रोशनी की किरण बनकर आए लायंस के सदस्य और डॉक्टर सोमिल जैन को वह दिल से धन्यवाद कर रहा है।

सावन बारेला छात्र। ( काले चश्मे)भागीरथ बरेला अमरपुरा गांव के रहने वाले मजदूर और गरीब परिवार से हैं इनके तीन बेटे हैं जिसमें से सावन बचपन से ही नेत्रहीन था । इसका इलाज कराने के लिए गरीब परिस्थितियों के अनुसार एक पिता ने काफी प्रयास किया मगर गांव के डॉक्टरों द्वारा इसका इलाज नहीं होना बताया गया । दशरथ ने अपने पुत्र को दिव्यांग छात्रावास खंडवा में छोड़ दिया था । इलाज के बाद जब सावन ने माता-पिता को देखा तो उसके पिता की खुशी का ठिकाना नही रहा। लायंस और डॉक्टर सौमिल जैन का दिल से शुक्रिया कह रहा है ।

भागीरथ बारेला सावन के पिता जो भी हो सावन आज देखने लगा है , पर कितने ऐसे सावन होंगे जो अशिक्षा और गरीबी की वजह से बिना इलाज अंधेरे में अपनी ज़िंदगी निकाल रहे होंगे। सरकार , सामाजिक संस्थाओं और सक्षम लोगों को जागरूक करके सावन जैसे बच्चों को रोशनी से भरने का प्रयास करना चाहिए।

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