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मुख्यमंत्री बघेल प्रदेश स्तरीय OBC महासम्मेलन में हुए शामिल,अन्य पिछड़ा वर्ग समाज ने आरक्षण के संबंध में चर्चा के लिए राज्यपाल से समय दिलाने की मांग की,मुख्यमंत्री ने पत्र लिखने की बात कही…. पढ़िए पूरी ख़बर

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रायपुर:/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार सभी वर्गाें के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रगति के लिए भी हरसंभव प्रयास कर रही है। चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए संचालित कार्यक्रमों की बात हो या न्याय योजनाओं की इन योजनाओं का लाभ सभी वर्गाें के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को भी मिल रहा है। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की तरह प्रदेश के संभागीय मुख्यालयों तथा जिला मुख्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के रावणभाटा मैदान में आयोजित प्रदेश स्तरीय एक दिवसीय ‘‘ओबीसी महासम्मेलन‘‘ को सम्बोधित कर रहे थे। महासम्मेलन में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज ने आरक्षण के संबंध में चर्चा के लिए राज्यपाल महोदय से समय दिलाने की मांग मुख्यमंत्री श्री बघेल से की। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल महोदय को इस संबंध में पत्र लिखने की बात कही। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने समाज द्वारा जमीन की मांग पर कहा कि जमीन के मामले में इससे पहले किसी सरकार ने इतना जमीन नहीं बांटा है, कोई समाज यह नहीं कह सकता कि उसे जमीन नहीं मिला। ओबीसी बड़ा समाज है तो सबसे ज्यादा जमीन आप लोगों को मिली है। साथ ही भवन बनाने के लिए भी आवश्यकतानुसार राशि दी गयी है।

राजधानी में सभी अस्पताल रायपुर शहर में स्थित हैं, तो व्यवहारिकता को देखते हुए आप लोग बड़े अस्पतालों के पास धर्मशाला के लिए जमीन देख लें।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार हमेशा पिछड़ा वर्ग के साथ है। सबसे ज्यादा ऋण माफी का लाभ पिछड़ा वर्ग के साथियों को ही मिला है क्योंकि पिछड़ा वर्ग के लोग अधिकांशतः खेती से जुड़े हुए हैं, 2500 रूपए का लाभ भी आपको ही सबसे ज्यादा मिला, चाहे वह राजीव गांधी किसान न्याय योजना की बात हो, चाहे मिलेट्स कोदो, कुटकी की बात हो ट्यूबवेल पर किसानों को बिजली पर 12 हजार से 14 हजार करोड़ रूपए की छूट इन 5 सालों में दी गई और घरों में बिजली पर भी छूट दी जा रही है। हमारी सरकार लगातार शिक्षा स्वास्थ्य पर काम कर रही है। छत्तीसगढ़ के हितों के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने महासम्मेलन में कहा कि मुझे वह दिन भी याद है जब 2013 में आप सभी चारामा से हजारों की संख्या में पैदल चलकर रायपुर आए थेे और इंडोर स्टेडियम के बगल में बड़ी सभा का आयोजन हुआ था। अन्य पिछड़ा वर्ग का संगठन बहुत मजबूत है। संगठन द्वारा हमेशा प्रभावी तरीके से अपनी मांग रखी जाती है। अन्य पिछड़ा वर्ग की प्रमुख रूप से 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने विधानसभा में एक और दो दिसंबर 2022 को विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण विधेयक पारित किया और पारित करने के पश्चात राज्यपाल महोदय के पास भेज दिया। यह विधेयक राज्यपाल के पास लंबित है। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण और ईडब्ल्यूएस को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने महासम्मेलन के दौरान समाज द्वारा आरक्षण विधेयक के संबंध में राज्यपाल महोदय से मिलने का समय निर्धारित करने की मांग पर कहा कि इस संबंध में वे राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर आग्रह करेंगे कि हमारे पिछड़े वर्ग के साथी आपसे मिलना चाहते हैं। जहां तक मेरी बात है, मैं कई बार उनके पास जा चुका हूं, मैंने मंत्रियों को भी उनके पास भेजा है। नए राज्यपाल के आने के बाद भी हमने निवेदन किया पर आरक्षण विधेयक अभी भी लंबित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है। आवास का मामला सामने आया। जनसंख्या बढ़ने के साथ परिवार भी बढ़े और आवास की जरूरत भी बढ़ी। मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी की जनगणना होनी चाहिए। जनगणना नहीं हुई तो हमारी सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण कराया जिसकी रिपोर्ट आयी है और उसका परीक्षण चल रहा है। मुख्यमंत्री ने जातिगत जनगणना के संबंध में कहा कि जातिगत जनगणना से यह पता चलता है कि समाज में कौन सी जाति है, जो विकास के दौड़ में पीछे रह गई है, चाहे वह पिछड़ा वर्ग हो, चाहे अनुसूचित जाति हो या जनजाति हो, उनके लिए योजना बनना चाहिए। इसी कारण से जाति की जनगणना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने समाज की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि एनएमडीसी का कार्यालय हैदराबाद की जगह जगदलपुर में होना चाहिए। प्रदेश में कार्यालय होगा तो इससे सभी को लाभ मिलेगा, राज्य को जीएसटी से लाभ होगा, अभी तेलंगाना जा रहा है, वह प्रदेश को मिलेगा। भर्ती में भी छत्तीसगढ़ के बच्चों को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासकीय और सार्वजनिक औद्योगिक निकायों का निजीकरण हो रहा है, ऐसी स्थिति में किसी को भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। अभी बस्तर में नगरनार का स्टील प्लांट तैयार भी नहीं हुआ है, उसके भी विनिवेश की तैयारी कर ली गई है। एयरपोर्ट का निजीकरण किया जा रहा है। बालको का निजीकरण हो गया। अब वहां किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं है, अब रेलवे स्टेशन का भी नवीनीकरण हो रहा है, जो निजीकरण की ओर अग्रसर है। जब एयरपोर्ट का निजीकरण हो जाएगा, रेलवे स्टेशन निजीकरण हो जाएगा। नगरनार में निजीकरण हो जाएगा, तो आरक्षण का क्या लाभ मिलेगा न नौकरी रहेगी न पद होगा।

इसका विरोध होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार यदि कोई भर्ती करेगी तो वहां आरक्षण का लाभ मिलेगा निजी क्षेत्र में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि इन कोयला खदानों को बचाने के लिए, चाहे लोहे का खदान है, चाहे स्टील प्लांट हो, इन सभी को बचाने के लिए लड़ाई लड़ना होगा, यह आप सभी के मांग में शामिल होना चाहिए। वन अधिकार पट्टा के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछले सरकार में सिर्फ आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा दिया गया था। पर हमारी सरकार में 2005 से जो भी व्यक्ति, चाहे वो कोई भी समाज के हों, यदि 2005 से काबिज हैं, तो उन्हें पट्टा दिया गया।

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